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19 वर्षीय दिव्या देशमुख ने भारत का नाम रोशन करते हुए FIDE महिला वर्ल्ड कप जीत लिया है। उन्होंने फाइनल मुकाबले में भारत की ही अनुभवी खिलाड़ी कोनेरू हम्पी को टाईब्रेक राउंड में हराकर यह ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इस खिताब को जीतने के साथ ही वे भारत की 88वीं ग्रैंडमास्टर बन गई हैं।

📍 एक असाधारण शुरुआत

दिव्या का जन्म 9 दिसंबर 2005 को महाराष्ट्र के नागपुर में हुआ। उनके माता-पिता पेशे से गाइनोकॉलोजिस्ट हैं और बहन आयी लॉ की पढ़ाई कर रही हैं। 5 साल की उम्र से उन्होंने शतरंज खेलना शुरू किया और 7 की उम्र में ही U-7 नेशनल चैंपियन बन गईं। इसके बाद उन्होंने 2014 में U-10 और 2017 में U-12 कैटेगरी में भी राष्ट्रीय खिताब जीता।

🎓 सीखने का जुनून — ट्रेन में ही चलता था अभ्यास

उनकी मां ने बताया कि जब दिव्या टूर्नामेंट खेलने बाहर जाती थीं, तो ट्रेन के डिब्बे में ही वह उन्हें शतरंज सिखाती थीं। पुराने गेम्स की समीक्षा वहीं होती थी। यह समर्पण आज उनकी सफलता की नींव बना।

🧠 कोच की नज़र में अद्भुत खिलाड़ी

उनके पहले कोच नीलेश जाधव ने एक इंटरव्यू में बताया —

“दिव्या की सोच बहुत अलग थी। उसके मूव्स किसी अनुभवी खिलाड़ी जैसे होते थे। तभी समझ में आ गया था कि यह बच्ची खास है।”

🌟 वर्ल्ड नंबर 1 को हराया — पीएम मोदी ने दी बधाई

पिछले महीने दिव्या ने लंदन में हुई वर्ल्ड टीम रैपिड और ब्लिट्ज चैंपियनशिप में दुनिया की नंबर-1 खिलाड़ी हौ यिफान को सेमीफाइनल मुकाबले में हराया। इस शानदार प्रदर्शन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर बधाई दी:

“दुनिया की नंबर 1 खिलाड़ी होउ यिफान को हराने पर दिव्या देशमुख को बधाई। उनकी सफलता धैर्य और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है। यह कई उभरते शतरंज खिलाड़ियों को भी प्रेरित करती है। भविष्य के लिए शुभकामनाएं।”


🏆 दिव्या देशमुख का टाइटल सफर

वर्षटाइटल
2013वुमेंस फिडे मास्टर
2018वुमेंस इंटरनेशनल मास्टर
2021वुमेंस ग्रैंडमास्टर
2023इंटरनेशनल मास्टर

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